ये 3 लापरवाही बन सकती है बच्चों में चोट के निशान का कारण

चोट के निशान



खेल के दौरान बच्चों का चोट लगना बहुत आम बात है। छोटे बच्चों को अक्सर गिरने से सिर में चोट लगती है। कुछ चोट के निशान इतने गंभीर हो सकते हैं कि उन्हें आसानी से हटाया नहीं जा सकता। आपने कई बच्चों के चेहरे पर कोई न कोई निशान देखा होगा। माता-पिता के लिए अपने बच्चों को खेल के दौरान लगने वाले चोटों से बचाना संभव नहीं है। मगर कुछ लापरवाही के कारण लगने वाले चोटों से बचाया जा सकता है। आइए जानते हैं उन चोट के निशान के बारे में जो कुछ लापरवाही के कारण बच्चों में होने की आशंका होती है।


जलने के कारण लगने वाले चोट: जलने का निशान बच्चों में अधिक मामलों में देखे जाते हैं। बच्चों को जलने से होने वाली अधिकांश चोटें गर्म तरल पदार्थों के कारण होती हैं। अक्सर देखा जाता है कि मां रसोई में खाना बना रही होती है और बच्चा मां के पीछे-पीछे रसोई में चला जाता है। ऐसे में जरा सी लापरवाही से बच्चे के जलने से चोट लगने का डर रहता है। कई बार जलने के घाव इतने गंभीर हो जाते हैं कि उस चोट के निशान बच्चे के शरीर पर जीवन भर रह सकते हैं। इसलिए माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को कोशिश करनी चाहिए कि बच्चे को रसोई से दूर रखें। उन्हें यह भी कोशिश करनी चाहिए कि बच्चा ऐसी चीजों से न खेले जिससे उसे बर्न इंजरी होने का खतरा रहे। 

गिरने या लुढ़कने के कारण लगने वाले चोट: जब बच्चे बहुत छोटे होते हैं तो वे अक्सर लुढ़कने या चलने की कोशिश करते समय गिर जाते हैं। इससे उन्हें चोट लग जाती है। अगर चोट हल्की हो तो उसके निशान नहीं बनते। अगर चोट गंभीर हो तो उस चोट के निशान बच्चे के शरीर पर हमेशा के लिए रह जाते हैं। इसलिए छोटे बच्चों पर निगरानी रखना बेहद जरूरी होता है।

घर पर खेलने दौरान लगने वाली चोटें: वैसे तो घर पर खेल के दौरान लगने वाली चोटों से बच्चे को बचाना पूरी तरह से संभव नहीं है। हालंकि बच्चे को गंभीर चोट न लगे इसके लिए पेरेंट्स को कुछ बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। बच्चे के आस-पास कोई ऐसी चीजें न रखें जो बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जैसे- कोई भरी चीज़, नुकीली चीज़ आदि। इससे बच्चे को गंभीर चोट लगने से बचाया जा सकता है।


आम तौर पर ये वो 3 कारण होते हैं जिनसे छोटे बच्चों को चोट लगने की संभावना रहती है। ऐसे में कई बार बचपन में लगी चोट के निशान आसानी से नहीं जाते। इसलिए माता-पिता को बच्चों पर पूरी निगरानी रखने की कोशिश करनी चाहिए। साथ ही उन्हें चोटिल होने से भी बचाने की कोशिश करें। 




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