हार्ट अटैक का उपचार कैसे किया जाता है?



 वर्तमान समय में हार्ट अटैक से मौत के बढ़ते आंकड़ों का मुख्य कारण है- समय पर  मेडिकल हेल्प न मिल पाना। अगर मरीज को समय पर चिकित्सकीय सहायता मिल जाए तो हार्ट अटैक का उपचार पूरी तरह से संभव है। दिल के दौरे के इलाज के लिए डॉक्टर निम्नलिखित दवाओं का उपयोग करते हैं:

एस्पिरिन: एस्पिरिन रक्त के थक्कों को बनने से रोक सकती हैं। इसलिए जब तक मेडिकल हेल्प नहीं पहुंच जाती तब तक एस्पिरिन को चबाएं। ऐसा करके हार्ट को ज्यादा नुकसान होने से बचाया जा सकता है। 

नाइट्रोग्लिसरीन: नाइट्रोग्लिसरीन एक वासोडिलेटर है जो रक्त को पंप करने के लिए हृदय की क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। नाइट्रोग्लिसरीन से सीने में दर्द का भी इलाज किया जाता है। यह दवा तभी लेनी चाहिए जब यह डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की गई हो।

थ्रोम्बोलिटिक्स इंजेक्शन: ये इंजेक्शन उन थक्कों को हटाने में मदद करती हैं जो आपके हार्ट में ब्लड सप्लाई करने वाली धमनियों में बनती हैं। अगर समय पर थ्रोम्बोलाइटिक्स का इंजेक्शन लग जाए तो आपके बचने की संभावना बढ़ जाती है।

हार्ट अटैक का उपचार करने में इन दवाओं का इस्तेमाल मेडिकल हेल्प के तौर पर किया जाता है।  ये दवाएं आपके लिए कितनी सुरक्षित हैं, ये पता लगाने के बाद ही डॉक्टर इसे आपको लेने की सलाह देते है। 

हार्ट अटैक के इलाज में सर्जरी की जरूरत कब पड़ती है?

अगर दवाओं और इंजेक्शन के बाद भी यह समस्या ठीक नहीं होती है तो सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। हार्ट अटैक के उपचार में आजकल एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया का काफी उपयोग किया जाता है। इसकी मदद से अवरुद्ध धमनी का पता लगाकर ब्लॉकेज को खोला जता है। इसके साथ ही धमनी में रक्त प्रवाह में किसी तरह की बाधा न हो, इसके लिए ब्लॉक की जगह पर एक स्टेंट भी लगाया जाता है।

हार्ट अटैक के लिए करें ये प्राथमिक उपचार 

ज्यादातर स्थितियों में प्राथमिक उपचार की भी आवश्यकता पड़ती है। हार्ट अटैक का उपचार मिलने तक अगर मरीज को प्राथमिक उपचार मिल जाए तो इससे उसकी जान बचने की संभावना बढ़ सकती है। इसके लिए लोगों का यह जानना बेहद जरुरी है कि आखिर प्राथमिक उपचार क्या है और इसे कैसे देते है। 

सीपीआर: कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक जीवन रक्षक तकनीक है। इसका उपयोग हार्ट अटैक आने पर या दिल की धड़कन रुक जाने पर किया जाता है। सही तरीका पता होने पर कोई भी सीपीआर दे सकता है। आमतौर पर इसके लिए ऑफिसियल ट्रेनिंग की जरुरत नहीं पड़ती है। सीपीआर देते समय आपको दोनों हाथों की मदद से छाती के बीच में एक मिनट में 100 से 120 बार तेज और जोर से दबाना होता है। इस विधि को "हैंड्स-ओनली" भी कहा जाता है। यह केवल प्राथमिक उपचार है इसलिए सीपीआर करते समय यह भी याद रखना जरूरी है कि मरीज को जल्द से जल्द अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है।








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