8 रिस्क फैक्टर्स जो बढ़ा सकते हैं हार्ट फेलियर का खतरा!

हार्ट फेलियर


क्या आपने हार्ट फेलियर का सामना किया है? अगर हाँ, तो इस मामले में आप अकेले नहीं है। आप जैसे कई लोग इस जानलेवा स्थिति से गुजर चुके हैं और बहुत से लोग लगातार इसकी चपेट में आ रहे हैं। अब यहाँ एक अहम सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर क्यों हार्ट फेलियर के मामले बढ़ रहे हैं? अगर इसका जवाब खोजने की कोशिश की जाये तो पता चलेगा कि कई बार व्यक्ति खुद की गलतियों के कारण इस स्थिति का शिकार हो जाता है। व्यक्ति का खानपान, अनियमित लाइफस्टाइल व अन्य कई ऐसे रिस्क फैक्टर्स हैं जो हार्ट फेलियर के खतरे को बढ़ा देते हैं। इन रिस्क फैक्टर्स के बारे में जानने से पहले हार्ट फेलियर को समझना जरूरी है।

हार्ट फेलियर क्या होता है?

हार्ट फेलियर (दिल की विफलता) की स्थिति तब पैदा होती है, जब दिल शरीर की जरूरत के अनुसार पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन युक्त रक्त पंप नहीं कर पाता। हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि दिल की धड़कन बंद हो जाती है। इसमें दिल का धड़कना तो जारी रहता है लेकिन उसकी पम्पिंग क्षमता कमजोर हो जाती है, जिसके कारण शरीर के अंगों तक सही मात्रा में रक्त नहीं पहुँच पाता और गंभीर परेशानियां उत्पन्न होती हैं।

8 रिस्क फैक्टर्स जिनसे बचना है जरूरी!

1. मोटापा: जिन लोगों का वजन ज्यादा होता है, उनके शरीर में कोलेस्ट्रॉल एवं फैट की मात्रा बढ़ जाती है। जिसके कारण हार्ट पर दबाव पड़ता है और व्यक्ति को हार्ट फेलियर हो सकता है। 

2. डायबिटीज: ब्लड शुगर लेवल ज्यादा होने से हार्ट को कंट्रोल करने वाली ब्लड वेसेल्स और नर्व को नुकसान पहुँचता है। जिसके कारण हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ जाता है।

3. धूम्रपान: धूम्रपान में निकोटीन समेत अन्य कई ऐसे केमिकल शामिल होते हैं जो व्यक्ति के हार्ट को बीमार बनाने के लिए काफी हैं।

4. हाई कोलेस्ट्रॉल: शरीर में एलडीएल यानी कि बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने से हृदय की धमनियों में प्लाक का जमाव हो जाता है, जिसका असर हृदय की पम्पिंग क्षमता पर पड़ता है।

5. ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन: शराब की लत हार्ट को इस हद तक बीमार बना सकती है जो व्यक्ति की जान लेने के लिए काफी है।

6. अस्वास्थ्यकर खाना और एक्सरसाइज की कमी: जंक फूड, तेल, मिर्च मसाला आदि चीजें शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल और सैचुरेटेड फैट को बढ़ाती हैं। वहीं एक्सरसाइज नहीं करने से ये कोलेस्ट्रॉल अवशोषित नहीं हो पाता और इसका असर हार्ट पर पड़ता है। 

7. ड्रग्स का इस्तेमाल: ज्यादा मात्रा में दवाईयों का सेवन या फिर ड्रग्स लेना हार्ट फेलियर का कारण बन सकता है। इसीलिए हमेशा डॉक्टर की सलाह पर दवाईयां लेना बेहतर होता है।

8. स्लीप एपनिया: हार्ट फेलियर के रिस्क फैक्टर्स में स्लीप एपनिया भी शामिल है। इस स्थिति में सांस लेने में होने वाली तकलीफ हृदय पर भी असर डालती है। सही समय पर स्लीप एपनिया का इलाज होना जरूरी है वरना ये बीमारी घातक रूप ले सकती है।


हार्ट फेलियर से आप स्वयं को बचा सकते हैं। बस उपर बताये गये रिस्क फैक्टर्स को नजरअंदाज करने की गलती न करें बल्कि इनसे बचाव के बारे में सोचें। आपकी जरा सी कोशिश और जागरूकता आपके हार्ट को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभा सकती है। 



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