Ectopic Pregnancy in Hindi - एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic Pregnancy Meaning in Hindi)

 

ectopic pregnancy in hindi

प्रेगनेंसी किसी भी महिला के लिए एक सुनहरा अनुभव है। हालांकि, फर्टिलाइजेशन से लेकर बच्चे की डिलीवरी तक का समय हर महिला के लिए आसान हो, ये जरूरी नहीं है।  कई प्रेगनेंसी के मामले बिल्कुल नॉर्मल होते हैं, तो वहीं कुछ मामलों में महिलाओं को तकलीफों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं मामलों में शामिल है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी  (Ectopic Pregnancy in Hindi)। अगर आंकड़ों की मानें तो भारत में एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic Pregnancy Meaning in Hindi) के मामले बहुत कम पाये जाते हैं। एक सर्वे के मुताबिक भारत में इस तरह की प्रेगनेंसी के सिर्फ 1-2% मामले ही सामने आये हैं। (Ref

जानें क्या होती है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic Pregnancy in Hindi)?

जब फर्टिलाइज एग गर्भाशय से ना जुड़कर फैलोपियन ट्यूब, एब्डोमिनल कैविटी या फिर गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) से जाकर जुड़ जाता है तो इस अवस्था को एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic Pregnancy Meaning in Hindi) कहा जाता है। आंकड़ों के मुताबिक 97% एक्टोपिक प्रेग्नेंसी फैलोपियन ट्यूब में होती है। वहीं अन्य 3% प्रेगनेंसी सर्विक्स, ओवरी या फिर पेरिटोनियल कैविटी में होती है। (Ref)

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic Pregnancy in Hindi) महिला के जीवन के लिए घातक भी हो सकती है। जैसे-जैसे ये प्रेगनेंसी बढ़ती है, वैसे-वैसे महिला की तकलीफें भी बढ़ती जाती हैं। इसके कारण महिला को तेज दर्द और आंतरिक रक्तस्त्राव जैसी गंभीर परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। (Ref)

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में नजर आते हैं ये लक्षण

  • ऐसी स्थिति में महिला को पेट में तेज दर्द हो सकता है। कई बार ये दर्द अचानक से शुरू हो जाता है। वहीं कुछ मामले ऐसे भी हैं जहाँ महिलाएं लगातार हल्के-हल्के पेट दर्द का एहसास करती हैं और फिर यही दर्द अचानक से गंभीर हो जाता है। एक्टोपिक प्रेगनेंसी में पेट के एक तरफ के हिस्से में दर्द हो सकता है। (Ref)
  • योनि से रक्तस्त्राव होना या बार-बार दाग लगना भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic Pregnancy in Hindi) के संकेत हो सकते हैं। हालांकि, इस दौरान जो रक्तस्त्राव होता है वो नॉर्मल पीरियड्स से अलग होता है। इस हालत में रक्तस्त्राव कम या ज्यादा दोनों ही हो सकता है और रंग भी नॉर्मल से ज्यादा गाढ़ा होता है। (Ref)
  • महिला को कंधे में दर्द भी हो सकता है। पेट में ब्लड लीकेज के कारण ये तकलीफ पैदा होती है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में कंधे का दर्द हमेशा बना रहता है और सोते वक्त ये दर्द बढ़ जाता है। दर्द निवारक दवाईयों से भी इस दर्द से महिला को आराम नहीं मिलता। ऐसी स्थिति में महिला को तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिये। (Ref)
  • माहवारी का देरी से आना एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic Pregnancy in Hindi) का शुरुआती लक्षण हो सकता है। (Ref)
  • ऐसी स्थिति में महिला को डायरिया या मल त्याग के शुरुआत में दर्द महसूस हो सकता है। (Ref)
  • एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में अगर फैलोपियन ट्यूब रप्चर हो जाये तो आंतरिक रक्तस्त्राव शुरू हो सकता है। ऐसी हालत में महिला पेट में तेज दर्द के साथ बेहोश भी हो सकती है। अगर किसी महिला में ऐसे लक्षण नजर आये तो इसे मेडिकल इमरजेंसी मानते हुए तुरंत चिकित्सक के पास लेकर जाना चाहिये। (Ref)

किनमें हो सकता है एक्टोपिक प्रेगनेंसी (Ectopic Pregnancy Meaning in Hindi) का खतरा -

  • अगर कोई महिला पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज जैसे पेल्विक टीबी व अन्य समस्याओं से गुजर चुकी है तो उसमें एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic Pregnancy in Hindi) का खतरा बढ़ जाता है। (Ref)
  • जो महिलाएं पहले भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का सामना कर चुकी हैं, उनमें फिर से इस तरह की प्रेगनेंसी होने का जोखिम बना रहता है। (Ref)
  • अगर किसी महिला का फैलोपियन ट्यूब पहले से क्षतिग्रस्त है तो उसे भी इस तरह की प्रेगनेंसी से गुजरना पड़ सकता है। (Ref)
  • इंट्रायूटराइन डिवाइस की मदद से होने वाली प्रेगनेंसी, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी हो सकती है। (Ref)
  • यौन संचारित रोग से पीड़ित महिलाओं में भी एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic Pregnancy in Hindi) का जोखिम बढ़ जाता है। (Ref)
  • धूम्रपान भी महिलाओं में एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के खतरे को बढ़ा सकता है इसीलिए महिलाओं को इस मामले में सावधान रहना चाहिये। (Ref)

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का पता कैसे लगाया जाता है?

ज्यादातर मामलों में गर्भावस्था के शुरुआती 6 से 10 हफ्तों के अंदर ही एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic Pregnancy Meaning in Hindi) का पता चल जाता है। ऐसे कई तरीके हैं जिनकी मदद से इस तरह की प्रेगनेंसी का निदान किया जाता है, जैसे -
  • यूरिन प्रेगनेंसी टेस्ट
  • अल्ट्रासाउंड
  • ब्लड टेस्ट
  • लेप्रोस्कोपी
  • एमआरआई

क्या है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का इलाज?

चूंकि, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में महिला बच्चे को जन्म नहीं दे सकती है, इसीलिए इस अवस्था में भ्रूण को जल्द से जल्द बाहर निकालने पर जोर दिया जाता है। इस प्रेगनेंसी में महिला की जान को भी खतरा हो सकता है इसीलिए ऐसे में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। कई बार एक्टोपिक प्रेगनेंसी अपने आप ही खत्म हो जाती है। (Ref)
वहीं समय रहते एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic Pregnancy in Hindi) का पता चल जाये तो दवाईयों की मदद से भी इसका इलाज किया जा सकता है। (Ref)

इस अवस्था में महिला को मेथोट्रेक्सेट दवाई इंजेक्शन के रूप में दी जाती है। इससे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी आगे नहीं बढ़ती और अपने आप खत्म हो जाती है। वैसे तो ज्यादातर मामलों में मेथोट्रेक्सेट की एक इंजेक्शन लगवाने से ही ये प्रेगनेंसी रिमूव हो जाती है लेकिन कुछ मामलों में महिला को दूसरा इंजेक्शन लगाने की जरूरत पड़ सकती है। मेथोट्रेक्सेट लेने के बाद महिला को दर्द का एहसास हो सकता है। ऐसे में पेरासिटामोल व अन्य दर्द निवारक दवाईयों से महिला के दर्द को कम किया जाता है। (Ref)

पड़ सकती है सर्जरी की जरूरत!

कुछ महिलाओं को दवाईयां लेने के बाद भी सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। इसमें लेप्रोस्कोपी और ओपन सर्जरी, दोनों ही तकनीक से सर्जरी की जाती है। सर्जरी की मदद से भ्रूण को महिला के शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। वहीं अगर महिला का फैलोपियन ट्यूब बहुत ज्यादा डैमेज हो जाता है तो उसे निकालने की जरूरत भी पड़ सकती है। (Ref)

एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (Ectopic Pregnancy in Hindi)  में किसी भी तरह का रिस्क लेना सुरक्षित नहीं है। इस अवस्था में महिला का तुरंत निदान और जल्द से जल्द इलाज होना सबसे ज्यादा जरूरी है। अगर आप भी इस तरह की प्रेगनेंसी से गुजर रही हैं तो देरी न करें। तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क कर आवश्यक इलाज कराएं। 





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