इन 3 तरीकों से संभव है जुनूनी बाध्यकारी विकार का इलाज!

 

जुनूनी बाध्यकारी विकार


क्या आपको भी बार-बार अपने हाथों को धोने की आदत है?

क्या आप भी अपने काम को लेकर कंफ्यूजन में रहते हैं? अगर हाँ, तो ये लक्षण मानसिक विकार का संकेत हो सकते हैं। इस बीमारी को जुनूनी बाध्यकारी विकार (Obsessive Compulsive Disorder) कहा जाता है।

जुनूनी बाध्याकारी विकार में नजर आते हैं ये लक्षण

  • हर वक्त अपने आसपास गंदगी का एहसास होना।
  • अपने काम को लेकर सवालों में रहना जैसे - घर से निकलने वक्त दरवाजा बंद किया है या नहीं, गैस बंद है या नहीं आदि।
  • खुद को या फिर दूसरों को नुकसान पहुँचाने के बारे में सोचना।
  • किसी अपने के बाहर जाते ही ये डर लगना कि कहीं उनका एक्सीडेंट या वे किसी हादसे का शिकार न हो जाए।
  • हर चीज को एक क्रम में लगाने की आदत और चीजें क्रम में ना हो तो गुस्सा आना।
  • दूसरों के छूने से सामान के गंदे होने का डर लगना।
  • बार-बार अपने हाथों को धोते रहना।
अगर आप भी इस तरह का व्यवहार करते हैं या आपके आसपास किसी व्यक्ति में आपने इन लक्षणों को नोटिस किया है, तो तुरंत उसे मनोचिकित्सक के पास ले जाएं। इस बीमारी का इलाज नीचे बताये जा रहे 3 तरीकों से किया जा सकता है -

जुनूनी बाध्याकारी विकार का इलाज

1. कॉगनिटिव बिहेवियर थेरेपी 

ये एक प्रकार की टॉक थेरेपी है। इसमें मनोचिकित्सक मरीज की उस सोच, व्यवहार और भरोसे को बदलने की कोशिश करते हैं, जो उनके अंदर तनाव को बढ़ाती है। इस थेरेपी से बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। कॉगनिटिव बिहेवियर थेरेपी में जुनूनी बाध्याकारी विकार से पीड़ित मरीज को उन स्थितियों से परिचित कराया जाता है जो उनके अंदर जुनून पैदा करते हैं। ये क्रिया तब तक चलती है जब तक व्यक्ति का एंग्जायटी लेवल कम नहीं हो जाता। इस थेरेपी को हमेशा जानकार एवं अनुभवी मनोचिकित्सक की देखरेख में कराना चाहिये। (Ref)

2. दवाईयां

जुनूनी बाध्याकारी विकार के इलाज में मरीज को एंटी-डिप्रेसिंग दवाईयां दी जाती हैं। इसमें ऐसी कई दवाईयां शामिल हैं जो मस्तिष्क में सेरोटोनिन के स्तर को प्रभावित करती हैं। ये दवाईयां ओसीडी के लक्षणों को नियंत्रित करने में भी मदद करती हैं। अगर इन दवाईयों को लेने से मरीज को किसी तरह की परेशानी या असहजता का एहसास होता है तो उसे तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिये। एक बात का ध्यान रखें कि इन दवाईयों से ओसीडी पूरी तरह ठीक हो जाये, ये जरूरी नहीं। ये दवाईयां लंबे समय के लिए मरीज को लेनी पड़ सकती हैं।
(Ref)

3. एंग्जायटी मैनेजमेंट तकनीक

इस तकनीक की मदद से व्यक्ति खुद अपने लक्षणों को नियंत्रित कर सकता है। इसमें स्लो ब्रीदिंग तकनीक, मेडिटेशन एवं अन्य रिलैक्सिंग विधियां शामिल हैं। ये जरूरी है कि जुनूनी बाध्याकारी विकार से पीड़ित व्यक्ति इन विधियों को नियमित रूप से करे और अपनी कॉगनिटिव बिहेवियरल थेरेपी को भी जारी रखे। (Ref)



इसके अलावा भी कुछ अन्य तरीकों से जुनूनी बाध्याकारी विकार का इलाज संभव है। अक्सर कई लोग दूसरे क्या सोचेंगे, इस डर से मनोचिकित्सक के पास नहीं जाते लेकिन ऐसा बिलकुल भी न करें। मानसिक बीमारियां भी अन्य बीमारियों की तरह ही होती हैं जिनका समय रहते इलाज होना जरूरी है। इसीलिए आप भी समय पर अपना इलाज कराएं।



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