Systolic Meaning in Hindi - जानें क्या होता है सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर?
अक्सर हम ऐसा सुनते हैं कि किसी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ जाने से उसकी तबीयत खराब हो गयी। वहीं ऐसी खबरें भी मिलती हैं कि ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा कम हो जाने के कारण कोई व्यक्ति बेहोश हो गया। यहाँ सबसे अहम सवाल ये उठता है कि ये ब्लड प्रेशर होता क्या है और ब्लड प्रेशर कम है या ज्यादा, इसका पता कैसे लगाया जाये? जहाँ तक बात ब्लड प्रेशर मापने की है तो इसकी रीडिंग में 2 नंबर नजर आते हैं। उपर वाले नंबर को सिस्टोलिक (Systolic Meaning in Hindi) और नीचे वाले नंबर को डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहते हैं। इन दोनों नंबर के बारे में चर्चा करने से पहले ब्लड प्रेशर को समझना जरूरी है -
ब्लड प्रेशर के बारे में जानें
शरीर के प्रत्येक अंगों तक ऑक्सीजन पहुँचाने के लिए हार्ट रक्त को पंप करता है। जिनती बार दिल धड़कता है उतनी बार हार्ट धमनियों में रक्त को पंप करता है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स पर दबाव उत्पन्न होता है, इसे ही ब्लड प्रेशर या रक्तचाप कहते हैं। (Ref)
क्या होता है सिस्टोलिक (Systolic Meaning in Hindi) और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर?
दिल धड़कते समय ब्लड को पंप कर धमनियों में भेजता है। इस दौरान रक्त का दबाव यानी कि ब्लड प्रेशर सबसे ज्यादा होता है। इस दबाव की जानकारी देने वाला नंबर सिस्टोलिक प्रेशर (Systolic Meaning in Hindi) कहलाता है। वहीं दिल की 2 धड़कनों के बीच धमनियों में जो दबाव उत्पन्न होता है, उसकी जानकारी जिस नंबर से मिलती है उसे डायस्टोलिक प्रेशर कहते हैं। (Ref) व्यक्ति के ब्लड प्रेशर की माप इन दोनों नंबर की मदद से की जाती है। सिस्टोलिक नंबर पहले और डायस्टोलिक नंबर बाद में नजर आता है। उदाहरण के तौर अगर किसी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर 120/80 mmHg है तो इसका मतलब तो उसका सिस्टोलिक प्रेशर (Systolic Meaning in Hindi) 120 और डायस्टोलिक प्रेशर 80 है। इस बारे में डॉक्टर नीरज कुमार कहते हैं कि ब्लड प्रेशर 2 प्रकार का होता है सिस्टोलिक और डायस्टोलिक। इसमें हृदय के संकुचन और पेरिफेरल धमनी के रिजस्टेंस के बारे में पता लगाया जाता है।
ब्लड प्रेशर को कैसे मापते हैं?
व्यक्ति का ब्लड प्रेशर नॉर्मल, हाई या लो हो सकता है। अगर ब्लड प्रेशर ज्यादा हो जाये तो उसे हाइपरटेंशन और कम हो जाये तो उसे हाइपोटेंशन कहते हैं। इस बारे में जयपुर से मेडिसिन विशेषज्ञ, डॉ. चंदन केदावत बताते हैं कि जब व्यक्ति का सिस्टोलिक प्रेशर 140 और डायस्टोलिक प्रेशर 90 होता है तो इसका मतलब व्यक्ति का ब्लड प्रेशर बढ़ गया है। हालांकि, ये पहली रीडिंग होती है। इसके बाद स्थिति का अवलोकन करते हुए व्यक्ति के ब्लड प्रेशर की फिर से जाँच की जाती है। आईये ये समझते हैं कि ब्लड प्रेशर को कैसे मापा जाता है -
1.नॉर्मल ब्लड प्रेशर
अगर व्यक्ति का सिस्टोलिक प्रेशर 120 और डायस्टोलिक प्रेशर 80 mmHg से कम हो तो इसका मतलब उसका ब्लड प्रेशर नॉर्मल है। (Ref)
2. प्री हाइपरटेंशन
ये स्थिति तब पैदा होती जब सिस्टोलिक प्रेशर (Systolic Meaning in Hindi) 120 से 139 और डायस्टोलिक प्रेशर 80 से 89 mmHg के बीच रहता है। अगर इस स्थिति को समय रहते कंट्रोल नहीं किया गया तो व्यक्ति हाइपरटेंशन का शिकार हो सकता है। (Ref)
3. हाइपरटेंशन स्टेज 1
जब रक्तचाप लगातार 140-159/90-99 mmHg के बीच रहता है तो इसे हाइपरटेंशन स्टेज 1 की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसी अवस्था में चिकित्सक से तुंरत संपर्क करना जरूरी है। चिकित्सक मरीज को जीवनशैली में बदलाव करने की सलाह दे सकते हैं। साथ ही जरूरत पड़ने पर व्यक्ति को ब्लड प्रेशर की दवाईयां भी दी जा सकती हैं। (Ref)
4. हाइपरटेंशन स्टेज 2
अगर व्यक्ति के ब्लड का सिस्टोलिक प्रेशर (Systolic Meaning in Hindi) 160 और डायस्टोलिक प्रेशर 100 mmHg से ज्यादा पहुँच जाये तो ये हाइपरटेंशन स्टेज 2 कहलाता है। ऐसी स्थिति में भी ब्लड प्रेशर की दवाईयां शुरू कर दी जाती हैं। (Ref)
5. हाइपरटेंसिव क्राइसिस
ये एक आपातकालीन स्थिति है। कई बार कुछ लोगों का ब्लड प्रेशर 180/110 mmHg से ज्यादा हो जाता है लेकिन उनमें किसी तरह के लक्षण नजर नहीं आते। इसे हाइपरटेंसिव क्राइसिस कहा जाता है। इस अवस्था में व्यक्ति को तकरीबन 5 मिनट इतंजार करने के बाद दोबारा अपने ब्लड प्रेशर की जाँच करनी चाहिये। अगर जाँच में फिर से सिस्टोलिक प्रेशर (Systolic Meaning in Hindi) 180 और डायस्टोलिक प्रेशर 110 mmHg से ज्यादा रहता है तो मरीज को तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर अपना इलाज शुरू कराना चाहिये। (Ref)
6. हाइपोटेंशन
जब सिस्टोलिक प्रेशर 90 और डायस्टोलिक प्रेशर 60 से कम हो जाये तो इसका मतलब व्यक्ति हाइपोटेंशन से पीड़ित है। हालांकि, ये नबंर अलग-अलग भी हो सकते हैं क्योंकि हाइपोटेंशन का पता मुख्य रूप से लक्षणों के आधार पर लगाया जाता है। (Ref)
आजकल पूरी दुनिया में ही ब्लड प्रेशर के मरीज बढ़ रहे हैं। विशेष रूप से हाइपरटेंशन के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। व्यक्ति के लिए ये जरूरी है कि वो इस बीमारी, सिस्टोलिक (Systolic Meaning in Hindi) और डायस्टोलिक प्रेशर एवं ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने के तरीकों को अच्छे से समझे। तभी उसके लिए अपने ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना संभव हो सकेगा।
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