क्या आपका बच्चा भी दूध पीने के बाद रोता है? यह शिशु के पेट में गैस बनने की वजह से हो सकता है। दरअसल शिशु का पाचन तंत्र विकसित होने में थोड़ा समय लगता है। जिस वजह से शिशु के पेट में गैस बनने की संभावना हो सकती है। इसके अलावा कई बार दूध पीते समय कुछ हवा की मात्रा भी बच्चे के पेट में चली जाती है। यह भी पेट में गैस बनने का कारण हो सकता है। अब पेरेंट्स का यह सवाल होता है कि इस समस्या से बच्चे को राहत कैसे दिलाएं? इसका जवाब जानने से पहले आइए जानते हैं कि ऐसे कौन से लक्षण हैं जिनसे आप समझ जाएंगे कि बच्चे के पेट में गैस बन रही है। नवजात शिशु को गैस की समस्या होने पर दिख सकते हैं ये निम्नलिखित लक्षण (Ref)
- रोते समय चेहरा लाल हो जाना
- अपने पैरों को अपनी छाती तक खींचना
- शिशु का बैचेन होना
- ठीक से दूध न पीना
- ठीक से नींद न आना
- नाखुश दिखाई देना
यूँ तो नवजात शिशु को गैस होना बहुत ही सामान्य बात है। मगर कई बार बच्चा बहुत असहज महसूस करता है। इसकी वजह से वो चिड़चिड़ा हो जाता है। जिसे देख कर माता-पिता अक्सर चिंतित हो जाते हैं। मगर अब पेरेंट्स इससे घबराएं नहीं। हम आपको बताने जा रहे हैं 3 ऐसे उपाय जिसकी मदद से आप शिशु के पेट में गैस बनने से रोक सकते हैं।
ब्रेस्टफीड कराने के बाद बच्चे को डकार दिलाएं
(Ref) जब आपका शिशु स्तनपान के दौरान हवा निगलता है, तो हवा के बुलबुले पेट में फंस सकते हैं। इस वजह से बच्चे को बेचैनी महसूस हो सकती है। इसलिए ब्रेस्टफीडिंग के बाद बच्चे को डकार दिलाना बहुत जरूरी है। डकार दिलाने से नवजात शिशु को गैस की समस्या से बचाने में मदद मिल सकती है। दिलाने से नवजात शिशु को गैस की समस्या से बचाने में मदद मिल सकती है। दिलाने से नवजात शिशु को गैस की समस्या से बचाने में मदद मिल सकती है। दूध पिलाते समय बच्चे को सही स्थिति में रखें
(Ref) अपने बच्चे को अपनी बांह के नीचे कूल्हों के साथ सहारा देते हुए पकड़ें। आपके बच्चे की नाक आपके निप्पल के बराबर होनी चाहिए। हाथ की हथेली से अपने बच्चे की गर्दन को सहारा दें। अगर बच्चे की फीडिंग पोजीशन सही होने से बच्चे के पेट में गैस बनने की संभावना कम हो जाएगी। मां के खानपान पर विशेष ध्यान दें
(Ref) कई बार स्तनपान कराने वाली मां के आहार का असर बच्चे पर भी पड़ सकता है। इसलिए मां को ऐसे फूड्स का सेवन करना चाहिए जिससे उसके बच्चे को परेशानी न हो। इस बात का भी ध्यान रखकर नवजात शिशु को गैस की समस्या से बचाया जा सकता है।
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