थाइरोइड की समस्या व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकती है। आजकल तो बच्चों में भी थाइरोइड के लक्षण (Symptoms of Thyroid in Hindi) नजर आने लगे हैं। सरकार द्वारा जारी किये आंकड़ों के मुताबिक साल 2015-2016 में गोइटर या थाइरोइड डिसऑर्डर के 2.2% मामले सामने आये थे। वहीं साल 2021 में यही मामले बढ़कर 2.9% तक पहुँच गये थे। (Ref)
जानें क्या होता है थाइरोइड?
थाइरोइड के लक्षणों को समझने से पहले (Symptoms of Thyroid in Hindi) थाइरोइड ग्रंथि के बारे में जानकारी होना जरूरी है। गर्दन के ठीक नीचे स्थित तितली के आकार की ग्रंथि को थाइरोइड कहा जाता है। यही ग्रंथि शरीर में थाइरोइड हार्मोन का निर्माण करती है। इस कार्य के लिए थाइरोइड ग्रंथि आयोडीन का इस्तेमाल करती है, जो व्यक्ति को सी फूड, ब्रेड या नमक से प्राप्त होता है। ये ग्रंथि ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) और थायरॉक्सिन (टी4) नामक 2 महत्वपूर्ण हार्मोन का निर्माण करती है। ये दोनों हार्मोन शरीर की गतिविधियों को कंट्रोल करते हैं। इन दोनों में से टी3 हार्मोन सबसे ज्यादा एक्टिव होता है। जब थाइरोइड ग्रंथि से ये दोनों हार्मोन ब्लड में पहुँचते हैं, तो टी4 हार्मोन का एक बहुत बड़ा हिस्सा टी3 हार्मोन में बदल जाता है। यही टी3 हार्मोन कोशिकाओं के मेटाबॉलिज्म को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। (
Ref)
थाइरोइड के प्रकार
इस बारे में जयपुर से जनरल फिजिशियन
डॉ. विष्णु गुप्ता बताते हैं कि थाइरोइड आजकल एक आम बीमारी बन चुकी है। ये गले के अंदर मौजूद एक ग्रंथि होती है जो थाइरोइड हार्मोन का उत्पादन करती है। जब शरीर में इस हार्मोन की कमी हो जाती है, तो इसे हाइपोथायरॉयडिज्म कहते हैं। इसमें मरीज में ठंड महसूस होना, कब्ज, वजन बढ़ना आदि लक्षण (Symptoms of Thyroid in Hindi) नजर आते हैं। वहीं दूसरी ओर जब शरीर में थाइरोइड हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, तो उसे हाइपरथायरॉयडिज्म कहते हैं। थाइरोइड रोग आनुवंशिक कारण से हो सकता है और दवाईयों की मदद से इसका इलाज संभव है।
हाइपोथायरॉयडिज्म के बारे में विस्तार से जानें
हाइपोथायरॉयडिज्म एक कॉमन बीमारी है। आंकड़ों की मानें तो हर 10वें पुरुष या महिला में से 1 व्यक्ति हाइपोथायरॉयडिज्म की चपेट में आता ही है। (
Ref) वहीं पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ये समस्या ज्यादा देखी जाती है। (
Ref)
जानें क्या हैं हाइपोथायरॉयडिज्म के लक्षण (Symptoms of Thyroid in Hindi)?
- वजन का बढ़ना
- थकावट लगना
- जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होना
- ठंड को सहन करने में परेशानी होना
- त्वचा का रूखा होना
- बाल झड़ना
- अनियमित माहवारी
- पीरियड में बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव होना
- दिल की धड़कन का धीमा होना
- तनाव
- हाथ-पैर में सूजन
- ठीक से ध्यान केन्द्रित न कर पाना
- बहुत ज्यादा नींद आना
एक बात ध्यान में रखें कि हाइपोथायरॉयडिज्म रोग धीरे-धीरे बढ़ता है। इसीलिए ऐसा हो सकता है कि इसके लक्षण लोगों में देरी से नजर आये।
किन कारणों से होता है हाइपोथायरॉयडिज्म?
आंकड़ों के अनुसार कुल आबादी के 3 से 5% लोगों में हाइपोथायरॉयडिज्म के लक्षण नजर आते ही हैं। ऐसे कई कारण हैं, जो व्यक्ति को हाइपोथायरॉयडिज्म का शिकार बना सकते हैं। इन कारणों में शामिल है -
1. हाशिमोटो थायरोडिटिस
ये एक ऑटोइम्यून विकार है। ये समस्या तब पैदा होती है, जब थाइरोइड ग्रंथि में सूजन आ जाती है और वहाँ से हार्मोन का उत्पादन सही तरीके से नहीं हो पाता है। इसके कारण व्यक्ति हाइपोथायरॉयडिज्म की चपेट में आ सकता है। (
Ref)
2. थायरोइडिटिस
थायरोइडिटिस की समस्या भी थाइरोइड ग्रंथि में सूजन के कारण उत्पन्न होती है। इसके कारण जमा हुए थाइरोइड हार्मोन, थाइरोइड ग्रंथि से बाहर निकलने लगते हैं। इस रिसाव के कारण रक्त में हार्मोन का स्तर बढ़ता है, जिससे व्यक्ति को थायरोटॉक्सिकोसिस की समस्या होती है। ये परेशानी महीनों तक रह सकती है, जिसके कारण थाइरोइड अंडरएक्टिव हो सकता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति में हाइपोथायरॉयडिज्म के लक्षण (
Symptoms of Thyroid in Hindi) नजर आ सकते हैं। (
Ref)
3. थाइरोइड की सर्जरी
अगर थाइरोइड की सर्जरी के दौरान उसका कोई हिस्सा निकाल लिया गया हो, तो इसके कारण भी कुछ लोगों में हाइपोथायरॉयडिज्म की समस्या उत्पन्न हो सकती है (
Ref)। दूसरी तरफ अगर हाइपरथायरॉयडिज्म के इलाज के दौरान मरीज ने रेडियोएक्टिव आयोडीन थेरेपी ली है, तो इसके परिणामस्वरूप थाइरोइड के टिश्यू या तो काम करना कम कर देते हैं या फिर पूरी तरह बंद कर देते हैं। अगर इस थेरेपी को लेने के 6 महीने बाद भी थाइरोइड ग्रंथि अच्छे से काम नहीं करती है तो व्यक्ति हाइपोथायरॉयडिज्म का मरीज बन जाता है। वहीं अगर सर्जरी के बाद थाइरोइड ग्रंथि को पूरी तरह निकाल लिया जाये, तो इसके कारण भी व्यक्ति हाइपोथायरॉयडिज्म से पीड़ित हो जाता है।
4. दवाईयां
कुछ दवाईयां भी हाइपोथायरॉयडिज्म का कारण बन सकती हैं। इनमें हृदय रोग, बाइपोलर डिसऑर्डर एवं कैंसर के लिए ली जाने वाली दवाईयां शामिल हैं।
5. आयोडीन की कमी
विश्व के जिन देशों में आयोडीन की कमी पायी जाती है, वहां 5 से 15% लोग हाइपोथायरॉयडिज्म से पीड़ित होते हैं। इन देशों में भारत भी शामिल है। हिमालयी क्षेत्रों में ये समस्या ज्यादा पायी जाती है। (
Ref)
नवजात बच्चे में भी नजर आ सकते हैं थाइरोइड के लक्षण (Symptoms of Thyroid in Hindi)
हैरानी की बात तो ये है कि कुछ नवजात बच्चे भी हाइपोथायरॉयडिज्म का शिकार हो सकते हैं। आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2640 में से 1 नवजात में ये बीमारी नजर आती है। वहीं विश्व में 3800 में से 1 नवजात बच्चा इस बीमारी से पीड़ित होता है। ये बीमारी बच्चे में तब पैदा होती है जब या तो उसकी
थाइरोइड ग्रंथि अच्छे से विकसित नहीं होती या फिर अच्छे से काम नहीं कर पाती।
हाइपोथायरॉयडिज्म का इलाज नहीं कराने पर हो सकती हैं ये समस्याएं!
समय रहते अगर हाइपोथायरॉयडिज्म का इलाज नहीं किया जाये, तो ये बीमारी गंभीर रूप ले सकती है। इस अवस्था में आँखों के आसपास सूजन नजर आने लगती है। इसके साथ ही दिल की धड़कन का धीमा होना, शरीर के तापमान का गिरना एवं यहाँ तक कि व्यक्ति हार्ट अटैक का शिकार भी हो सकता है। गंभीर हाइपोथायरॉयडिज्म में व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है।
इसीलिए थाइरोइड, इसके प्रकार और लक्षणों को (
Symptoms of Thyroid in Hindi) को अच्छे से जानना जरूरी है। जानकारी के अभाव के कारण ही व्यक्ति समय रहते अपना इलाज नहीं करा पाता, जो उसके लिए जानलेवा साबित होता है। इसीलिए आप इस बीमारी को गंभीरता से लेना शुरू करें और हाइपोथायरॉयडिज्म के लक्षण नजर आने पर तुरंत अपनी जाँच और इलाज कराएं।
FAQ
हाइपोथायरॉयडिज्म के लक्षण क्या हैं?
हाइपोथायरॉयडिज्म में वजन का बढ़ना, थकावट लगना, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होना, ठंड को सहन करने में परेशानी होना, बाल झड़ना, अनियमित माहवारी, पीरियड में बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव होना आदि लक्षण नजर आते हैं।
क्या नवजात बच्चे को भी हो सकता है हाइपोथायरॉयडिज्म?
नवजात बच्चे भी हाइपोथायरॉयडिज्म का शिकार हो सकते हैं। आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2640 में से 1 नवजात और विश्व स्तर पर 3800 में से 1 नवजात बच्चा इस बीमारी से पीड़ित पाया जाता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें