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क्या आप जानते हैं बच्चों में डायबिटीज किस कारण से होता है?

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  क्या आप भी सोचते हैं कि डायबिटीज सिर्फ बुजुर्गों में होने वाली बीमारी है? अगर आपका जवाब हाँ है तो आपको जागरूक होने की जरूरत है। जानकारी का यही अभाव डायबिटीज के मामले बढ़ने का सबसे मुख्य कारण है। आपको जानकार शायद हैरानी हो लेकिन बच्चे भी डायबिटीज की चपेट में आ सकते हैं। इसे टाइप 1 डायबिटीज कहते हैं। वैसे तो बड़े भी टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित हो सकते हैं लेकिन बच्चों में ये समस्या ज्यादा देखी जाती है। इसीलिए डायबिटीज किस कारण से होता है , इसे समझने की आवश्यकता सबसे ज्यादा है। तभी तो डायबिटीज से बचना संभव हो पायेगा।  सबसे पहले जानें क्या होता है टाइप 1 डायबिटीज? जब शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम पैन्क्रियाज में मौजूद बीटा सेल्स को नष्ट कर देता है, तब वहाँ इंसुलिन का उत्पादन या तो पूरी तरह से बंद हो जाता है या फिर बहुत कम हो जाता है। ऐसी स्थिति में शरीर में इंसुलिन की कमी हो जाती है और रक्त में शुगर का स्तर बढ़ने लगता है। इसे ही टाइप 1 डायबिटीज कहते हैं। ( Ref ) आखिर ये डायबिटीज किस कारण से होता है , इसे समझने से पहले एक नजर डालें इस बीमारी के लक्षणों पर -  टाइप 1 डायबिटीज के लक्षण बार-बार पेशा

फाइब्रॉएड हो सकता है पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण में शामिल!

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  पेट के निचले हिस्से में दर्द कई अलग-अलग स्थितियों के कारण हो सकता है। जब हम बात करते हैं महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण की तो इसमें फाइब्रॉएड प्रमुख हो सकता है। फाइब्रॉएड एक कैंसर रहित ट्यूमर है जो गर्भाशय की दीवारों में या उसके ऊपर विकसित होते हैं। इसके गर्भाशय में विकसित होने का कारण है- शरीर में एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की मात्रा का बढ़ना। कई महिलाओं में फाइब्रॉएड के लक्षण ज्यादा नहीं दिखते हैं। जिन महिलाओं में इसके लक्षण दिखतें हैं वें निम्नलिखित चीजें अनुभव कर सकती हैं ( Ref ) पीरियड के दौरान अत्यधिक दर्द  पेट दर्द पीठ के निचले हिस्से में दर्द बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना  कब्ज़ सेक्स के दौरान दर्द या बेचैनी कुछ मामलों में फाइब्रॉएड महिला के प्रजनन प्रणाली को प्रभावित कर सकता है या बांझपन का कारण भी बन सकता है। इसलिए हर महिला को फाइब्रॉएड से बचाव करने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा करने से महिलाएं पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण होने वाली कई परेशानियों से राहत पा सकती हैं। फाइब्रॉएड किसे हो सकता है ( Ref ) फाइब्रॉएड की समस्या किसे हो सकती है, यह ज

प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS): इन 7 टिप्स को अपनाएं, पीरियड आने के लक्षण से राहत पाएं!

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  क्या पीरियड्स के 2 हफ्ते पहले आपका भी मूड स्विंग होता है? हो सकता है ये पीरियड आने के लक्षण। इसे आमतौर पर पीएमएस (प्री-मेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम) कहा जाता है। लगभग सभी महिलाओं को पीरियड्स से पहले कुछ लक्षण महसूस होते हैं। हालांकि इसके लक्षण हर महिला में अलग-अलग दिखाई दे सकते हैं। पीएमएस एक महिला के दैनिक जीवन को शारीरिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित करता है। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप पीएमएस से कैसे राहत पा सकते हैं। इससे राहत पाने के उपाय जानने से पहले आइए जानते हैं कि पीएमएस में आपको कौन से लक्षण महसूस हो सकते हैं। पीरियड आने के लक्षण को आमतौर पर दो भागों में बांटा जाता है।  1. भावनात्मक लक्षणों में शामिल हो सकते हैं मूड स्विंग  चिड़चिड़ापन महसूस होना  भावुक महसूस करना थकान महसूस होना तनावग्रस्त महसूस करना एक जगह ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होना  2. शारीरिक लक्षणों में शामिल हो सकते हैं सोने में परेशानी होना सिरदर्द पेट फूला हुआ महसूस होना त्वचा या बालों में बदलाव महसूस होना  ब्रेस्ट में दर्द होना  मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द महसूस होना ये गंभीर पीएमएस के भी संकेत हो सकत

GERD (Gastroesophageal Reflux Disease) Symptoms in Hindi

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खानपान में गड़बड़ी के कारण पेट से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं। इन्हीं समस्याओं में से एक है गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीईआरडी)। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें पेट में मौजूद एसिड खाने की नली में वापस प्रवाहित होने लगता है 1 । इसकी वजह से व्यक्ति में कई लक्षण ( Gerd Symptoms in Hindi) नजर आते हैं, जो निम्नलिखित हैं-  सीने में जलन, जिसे अक्सर हार्टबर्न कहा जाता है। हार्टबर्न आमतौर पर खाने के बाद होता है एवं रात में या लेटने पर और ज्यादा बदतर हो सकता है 1 । खाने का बैकवॉश या खट्टा तरल पदार्थ गले में आना 1 । पेट के ऊपरी हिस्से या सीने में दर्द। इन लक्षणों (Gastroesophageal Reflux Disease Symptoms) के नजर आने पर व्यक्ति को अजीब तरह की बेचैनी होती है।  निगलने में परेशानी होना, जिसे डिस्फेजिया कहा जाता है 1 । कुछ लोगों को गले में गांठ जैसा भी महसूस होता है। अगर रात में एसिड रिफ्लक्स होता है, तो व्यक्ति को ये परेशानियां ( Gerd Symptoms in Hindi) हो सकती हैं- लगातार खांसी वोकल कॉर्ड की सूजन, जिसे लेरिन्जाइटिस के रूप में जाना जाता है। डॉक्टर को कब दिखाएं? यदि ऐसे लक्षण नजर आएं, जो जीईआरडी क

कहीं चोट के निशान न बन जाएं आपके तनाव का कारण! रहें सावधान

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  चोट के निशान अगर नहीं गये तो क्या होगा? इन निशानों को देखकर न जानें लोग क्या कहेंगे?  अगर आप भी इन सवालों से घिरे हुए हैं तो सतर्क हो जाएं। ये सवाल आपके जीवन में तनाव का कारण बन सकते हैं। जी हाँ, सही सुना आपने। अगर समय बीत जाने के बाद भी पुराने चोट के निशान नहीं जाते हैं, तो इसका असर व्यक्ति के आत्मविश्वास पर पड़ता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति के मन में कई तरह के सवाल चलने लगते हैं और देखते ही देखते वो व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो जाता है। विशेष रूप से अगर कोई निशान चेहरे पर हो तो ये सिर्फ शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी बड़ी परेशानी का कारण बन जाता है। चोट के निशान के कारण नजर आ सकते हैं ये इमोशनल रिएक्शन! अगर चोट के निशान कई कोशिशों के बाद भी नहीं जाते, तो व्यक्ति हैरान-परेशान सा हो जाता है। ऐसे में उसमें कई तरह के इमोशनल रिएक्शन नजर आ सकते हैं, जैसे - डर असहजता गुस्सा चिंता दर्द खुद से घृणा की भावना उदासी चेहरे के चोट के निशान बन सकते हैं डिप्रेशन का मुख्य कारण! कई बार चोट के निशान का आकार मायने नहीं रखता बल्कि निशान शरीर के किस हिस्से में है, ये सबसे बड़ी समस्या बन जाती है।

पीरियड्स के कितने दिन बाद प्रेग्नेंसी होती है? (Period Ke Kitne Din Baad Pregnancy Hoti Hai)

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  शादी के बाद एक कपल के जीवन में सबसे अहम विषय होता है - बच्चा प्लान कब करना है? वैसे आजकल ज्यादातर कपल शादी के 2 से 3 साल बीत जाने के बाद ही बच्चा पैदा करने की योजना बनाते हैं। अब जब बात बेबी प्लानिंग की है तो इसको लेकर भी महिलाओं को मन में कई तरह के सवाल उठना लाजमी है। इन्हीं सवालों में से एक सवाल है - पीरियड के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी होती है ( Period ke Kitne Din Baad Pregnancy Hoti Hai ) या एक महिला पीरियड के कितने दिन बाद प्रेगनेंट होती है (Period ke Kitne Din Baad Pregnant Hoti Hai)? कहीं आप भी तो इस सवाल का जवाब नहीं ढूंढ़ रहीं! तो चलिये आपके इन्हीं सवालों पर चर्चा करते हैं लेकिन उससे पहले जरूरी है प्रेग्नेंसी, मेंस्ट्रुअल साइकिल और ओव्यूलेशन को समझना। सबसे पहले जानें कैसे होती है प्रेगनेंसी? पीरियड के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी होती है (Period ke Kitne Din Baad Pregnancy Hoti Hai) , ये समझने से पहले प्रेगनेंसी कैसे होती है, इसे समझना जरूरी है। नॉर्मल प्रेगनेंसी के बारे में मुंबई से वरिष्ठ स्त्री रोग व इन्फर्टिलिटी विशेषज्ञ, पद्मश्री डॉ. इंदिरा हिंदुजा बताती हैं कि स्त्री के शर

चोट लगने पर नहीं रुकता खून बहना! कहीं ये हीमोफीलिया के लक्षण तो नहीं?

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  शरीर के किसी हिस्से पर चोट लगने या कट जाने पर खून का निकलना बंद न होना, क्या आपके साथ हुआ है ऐसा कभी? ये आमतौर पर हीमोफीलिया के लक्षण हो सकते हैं। क्या आप जानते हैं हीमोफीलिया क्या है? आइए सबसे पहले इसके बारे में जानते हैं। जानिए हीमोफीलिया क्या है? हीमोफीलिया आमतौर पर एक आनुवंशिक ब्लीडिंग डिसऑर्डर है। दरअसल, रक्त में कई प्रोटीन होते हैं जिन्हें क्लॉटिंग फैक्टर कहा जाता है। यह फैक्टर खून के थक्के बनाकर रक्तस्राव को रोकने में मदद करते हैं। इस डिसऑर्डर में व्यक्ति के शरीर में खून के थक्के बनाने वाले क्लॉटिंग फैक्टर का स्तर कम होता है ( Ref )।  जिसकी वजह से शरीर में खून का थक्का बनना बंद हो जाता है। रक्त में थक्के बनाने वाले कारकों की मात्रा जितनी कम होगी, रक्तस्राव की संभावना उतनी ही अधिक होगी। इसलिए हीमोफीलिया से पीड़ित मरीजों को अगर किसी कारण चोट लग जाए या शरीर में किसी तरह का कट लग जाए तो खून बहना बंद नहीं होता है। इस स्थिति में अगर समय रहते मरीज को सही उपचार न मिले तो उसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इस समस्या से बचने के लिए हीमोफीलिया के लक्षण जानना बेहद जरुरी है तभी आप