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हार्ट अटैक के लक्षण नजर आये तो तुरंत करें ये काम

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हार्ट अटैक ( Heart Attack ) तब होता है, जब हृदय की मांसपेशियों के एक हिस्से में रक्त की आपूर्ति कम हो जाती है। धमनी में प्लाक के जमाव के कारण यह स्थिति पैदा होती है। ऐसे में व्यक्ति को छाती में दर्द या भारीपन का एहसास होता है। इसके अलावा पसीना आना, मतली, सांस लेने में तकलीफ व अन्य हार्ट अटैक के लक्षण भी नजर आ सकते हैं। इन शुरुआती लक्षणों को समय पर पहचानना और तुरंत इलाज करना महत्वपूर्ण है, तभी व्यक्ति की जान बचायी जा सकती है। हार्ट अटैक होने पर अगर घर पर कुछ चीजें की जाएं तो मरीज को अस्पताल ले जाने का समय मिल सकता है। आईये जानते हैं कि ऐसी आपातकालीन स्थिति में मरीज के पास मौजूद व्यक्ति को क्या करना चाहिये? हार्ट अटैक (Heart Attack) होने पर करें ये काम सबसे पहले मरीज के कंधे को थपथपाएं और उससे पूछें कि क्या वो ठीक है? मैन्युअल चेस्ट कम्प्रेशन करें, इसके लिए अपनी उँगलियों को आपस में लॉक करें और अपने हाथों की हथेली वाले हिस्से को व्यक्ति की छाती के बीच में रखें। अपने कंधों को अपने हाथों के ऊपर रखें, अपनी कोहनी को लॉक करें और 100-120 कम्प्रेशन प्रति मिनट की दर से छाती को 2 इंच की गहराई तक

थाइरोइड होने पर नजर आ सकते हैं ये लक्षण (Symptoms of Thyroid in Hindi)

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थाइरोइड की समस्या व्यक्ति को किसी भी उम्र में हो सकती है। आजकल तो बच्चों में भी थाइरोइड के लक्षण ( Symptoms of Thyroid in Hindi )  नजर आने लगे हैं। सरकार द्वारा जारी किये आंकड़ों के मुताबिक साल 2015-2016 में गोइटर या थाइरोइड डिसऑर्डर के 2.2% मामले सामने आये थे। वहीं साल 2021 में यही मामले बढ़कर 2.9% तक पहुँच गये थे। ( Ref ) जानें क्या होता है थाइरोइड? थाइरोइड के लक्षणों को समझने से पहले  (Symptoms of Thyroid in Hindi) थाइरोइड ग्रंथि के बारे में जानकारी होना जरूरी है। गर्दन के ठीक नीचे स्थित तितली के आकार की ग्रंथि को थाइरोइड कहा जाता है। यही ग्रंथि शरीर में थाइरोइड हार्मोन का निर्माण करती है। इस कार्य के लिए थाइरोइड ग्रंथि आयोडीन का इस्तेमाल करती है, जो व्यक्ति को सी फूड, ब्रेड या नमक से प्राप्त होता है। ये ग्रंथि ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) और थायरॉक्सिन (टी4) नामक 2 महत्वपूर्ण हार्मोन का निर्माण करती है। ये दोनों हार्मोन शरीर की गतिविधियों को कंट्रोल करते हैं।  इन दोनों में से टी3 हार्मोन सबसे ज्यादा एक्टिव होता है। जब थाइरोइड ग्रंथि से ये दोनों हार्मोन ब्लड में पहुँचते हैं, तो टी4 हार्

क्या पीरियड में संबंध बनाने से प्रेग्नेंट हो सकते हैं? जवाब पाएं यहाँ

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  पीरियड में संबंध बनाने से प्रेग्नेंट हो सकते हैं या नहीं, क्या आपके मन में भी है ये सवाल? कई महिलाएं हैं जो इस सवाल का सही जवाब जानना चाहती हैं। तो आइए, हम इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं।  पीरियड के दौरान सेक्स करने से प्रेगनेंसी नहीं होगी, ऐसा कई महिलाएं सोचती हैं। क्या ये सोच सही है? इसका जवाब है नहीं। वैसे तो पीरियड में सेक्स करने से प्रेग्नेंट होने की संभावना ना के बराबर होती है लेकिन अगर एक कपल बिना किसी प्रोटेक्शन के सेक्स करता है तो प्रेगनेंसी हो सकती है। जिन महिलाओं की पीरियड साइकिल 28 से 30 दिन या उससे अधिक होता है उन महिलाओं के गर्भवती होने की संभावना पीरियड के दौरान सेक्स करने पर भी कम हो जाती है।अगर किसी का पीरियड साइकिल छोटा है जैसे 21 से 24 दिन, तो ऐसी स्थिति में महिलाएं पीरियड में संबंध बनाने से प्रेग्नेंट हो सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पुरुषों का शुक्राणु महिला के शरीर में लगभग 7 दिनों तक जीवित रह सकता है। पीरियड साइकिल छोटा होने के कारण, अंडाणु और शुक्राणु ओव्यूलेशन के दौरान मिल सकते हैं। जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ सकती है। उम्मीद है अब आपकी " पीरि

Normal BP Kitna Hota Hai? नॉर्मल ब्लड प्रेशर कितना होता है?

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ब्लड प्रेशर का कंट्रोल रहना हर एक व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए बेहद आवश्यक है। अगर ब्लड प्रेशर का लेवल बढ़ जाये या घट जाये तो ये चिंता का विषय हो सकता है। विशेष रूप से ब्लड प्रेशर का बढ़ना व्यक्ति के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है। ये कोई मजाक नहीं बल्कि हकीकत है। इस बीमारी को हाइपरटेंशन के नाम से जाना जाता है जो पूरे विश्व में साइलेंट किलर के रूप में प्रसिद्ध है। इसी के मद्देनजर ब्लड प्रेशर का कंट्रोल में रहना आवश्यक है। क्या आप जानते हैं कि नॉर्मल ब्लड प्रेशर कितना होता है ( Normal BP Kitna Hota Hai )?  इसका जवाब है 120/80 mmHg। कहने का मतलब ये है कि अगर व्यक्ति का सिस्टोलिक प्रेशर 120 और डायस्टोलिक प्रेशर 80 mmHg या इससे कम है तो इसका मतलब उसका ब्लड प्रेशर नॉर्मल है। ( Ref ) अगर ब्लड प्रेशर का यही लेवल बढ़ जाये तो व्यक्ति हाइपरटेंशन का शिकार हो सकता है।  एक नजर डालें हाइपरटेंशन के लक्षणों पर सांस फूलना सिरदर्द थकान कमजोरी महसूस होना पसीना आना धुंधली दृष्टि उल्टी जी घबराना अनियमित दिल की धड़कन वहीं अगर व्यक्ति के शरीर में ब्लड प्रेशर लेवल 90/60 mmHg या उससे कम हो जाये तो व्यक्ति हाइप

दिखें ये 7 प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण तो तुरंत लें डॉक्टर की सलाह!

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  प्रोस्टेट ग्लैंड पुरुषों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उम्र बढ़ने के साथ शरीर में हार्मोनल परिवर्तन के कारण प्रोस्टेट का आकार बढ़ सकता है। इसलिए प्रोस्टेट का बढ़ना यानी बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया (बीपीएच) वृद्ध पुरुषों में बहुत आम है। निम्नलिखित कुछ सामान्य प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण हैं, जिनपर आपको ध्यान देना चाहिए: ( Ref )- पेशाब शुरू करने में कठिनाई होना  पेशाब करने के लिए जोर लगाना मूत्र का प्रवाह कमजोर होना बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना रात में बार-बार पेशाब लगना  पेशाब के बाद भी ड्रिपलिंग का जारी रहना पेशाब कंट्रोल न कर पाना भले ही पुरुषों में यह समस्या बहुत आम है मगर प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण आपके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए इस समस्या को नजरअंदाज न करें और जब भी आपको ऊपर बताये गए लक्षणों का अनुभव हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। डॉक्टर आपका इलाज शुरू करने से पहले आपको जांच के लिए बुला सकते हैं। फिर इन लक्षणों की गंभीरता के आधार पर डॉक्टर निम्नलिखित तरीकों से इसका इलाज कर सकते हैं ( Ref )- दवाओं के माध्यम से - दवाओं के उपयोग से प्रोस्टेट के

जानिए पीरियड में संबंध बनाने के नुकसान, वरना हो सकती हैं ये 8 बीमारियां

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  पीरियड में संबंध बनाने के नुकसान होंगे या फायदे, इसे लेकर लोगों के मन में कई दुविधाएं होती हैं। कई लोगों को लगता है कि अगर प्रोटेक्शन का इस्तेमाल नहीं भी किया जाये तो भी पीरियड के दौरान सेक्स करने से कोई नुकसान नहीं होगा। क्या आपका भी यही मानना है? चलिए जानते हैं कि इस बात में कितनी सच्चाई है।  अगर चिकित्सकों की मानें तो पीरियड में संबंध बनाने के नुकसान हो सकते हैं। जी हाँ, इस दौरान सेक्स करने से यौन संचारित रोगों के फैलने का खतरा बढ़ सकता है। सिर्फ इतना ही नहीं, बिना प्रोटेक्शन के संबंध बनाने से महिला के प्रेगनेंट होने की संभावना भी बनी रहती है। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों होता है? तो आइये जानते हैं एक-एक करके आपके सवालों का जवाब।  पीरियड्स में सेक्स करने से यौन संचारित रोगों का खतरा क्यों फैलता है? पीरियड के दौरान वजाइना का पीएच बैलेंस असंतुलित होता है। इस वजह से महिला के जननांग में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही पीरियड्स के समय महिलाओं के गर्भाशय का भी मुँह ज्यादा ओपन होता है। ऐसे में अगर योनि में संक्रमण हो जाये तो वो संक्रमण गर्भाशय तक भी फैल सकता है। इसलि

पीरियड आने से पहले प्रेगनेंसी के लक्षण - हो सकते हैं ये 3 संकेत

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  क्या केवल पीरियड मिस होना ही प्रेगनेंसी का संकेत हो सकता है? इसका जवाब है नहीं। इसलिए पीरियड मिस होने का मतलब हमेशा यह नहीं होता कि महिला गर्भवती है ( Ref ) इसके पीछे और भी कई कारण हो सकते हैं। इसके कारणों में शामिल हैं-  बर्थ कण्ट्रोल पिल्स लेना  मधुमेह  पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) ईटिंग डिसऑर्डर  कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव इसलिए महिला को पीरियड्स मिस होने पर डॉक्टर को दिखाकर यह पता लगाना चाहिए कि क्या वे गर्भवती हैं या उन्हें कोई अन्य स्वास्थ्य समस्या है। अब आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर फिर कैसे समझें कि आप गर्भवती हैं? तो हम आपको कुछ ऐसे संकेत बताने जा रहे हैं जो पीरियड आने से पहले प्रेगनेंसी के लक्षण हो सकते हैं। इन लक्षणों को समझकर आप जान सकेंगी कि आप गर्भवती हैं या नहीं। पीरियड आने से पहले प्रेगनेंसी के लक्षण जानें  गर्भावस्था के लक्षण हर महिला में अलग-अलग होते हैं। गर्भधारण के एक सप्ताह के भीतर आपको गर्भावस्था के लक्षणों का अनुभव होना शुरू हो सकता है। हालांकि कुछ महिलाओं का कहना है कि उन्हें कुछ हफ्तों तक कोई लक्षण महसूस नहीं हुआ। जिन महिलाओं में इसके लक्षण दिख

प्रोस्टेट क्यों बढ़ता है, ये जानना हर पुरुष के लिए है जरूरी, जानिए क्यों?

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प्रोस्टेट क्यों बढ़ता है , इसका जवाब अभी भी पूर्ण रूप से अज्ञात है। हालाँकि, ऐसा माना जाता है कि जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है उसके शरीर में एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का संतुलन बदलता है। इस हार्मोनल परिवर्तन की वजह से व्यक्ति की प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ सकती है। एक सर्वे के अनुसार, 60 साल की उम्र के बाद तकरीबन 50% पुरुषों को प्रोस्टेट बढ़ने की समस्या होती है ( Ref ) | वहीं विश्व स्तर पर, 50 वर्ष से कम आयु के पुरुषों में बीपीएच का प्रसार करीबन 20 से 62% तक हो सकता है।  प्रोस्टेट बढ़ने की वजह से आपको हो सकती हैं ये समस्याएं! प्रोस्टेट बढ़ने के साथ आपको पेशाब संबंधी कुछ समस्याएं हो सकती हैं। इन समस्याओं में शामिल हैं-  पेशाब शुरू करने में कठिनाई होना  पेशाब करने के लिए जोर लगाना मूत्र का प्रवाह कमजोर होना बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना रात में बार-बार पेशाब लगना  पेशाब के बाद भी ड्रिपलिंग का जारी रहना पेशाब कंट्रोल न कर पाना प्रोस्टेट बढ़ने के ये लक्षण हर मरीज में अलग-अलग हो सकते हैं। यह लक्षण प्रोस्टेट से जुड़ी अन्य समस्याओं की वजह से भी दिख सकते हैं। इसलिए अगर, आपके मन में इन लक

5 रिस्क फैक्टर्स जो पीरियड आने के लक्षण (PMS) को बनाते हैं गंभीर!

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  क्या आपको भी पीरियड आने के कुछ दिनों पहले से ही पेट में तेज दर्द शुरू हो जाता है? क्या आप मूड स्विंग, तनाव या ज्यादा भूख लगने जैसे लक्षणों का भी अनुभव करती हैं? अगर हाँ, तो इसे पीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) कहते हैं। इसमें कुछ दिनों पहले से ही महिलाओं में पीरियड आने के लक्षण नजर आने लगते हैं, जो उन्हें बहुत ज्यादा परेशान करते हैं। एक अध्ययन में ये बताया गया है कि 4 में से 3 महिलाएं पीएमस के लक्षणों का सामना करती हैं। पीएमएस में नजर आने वाले लक्षण क्या हैं? पीएमएस में हर महिला में अलग-अलग लक्षण नजर आते हैं। वैसे तो इस समस्या में तकरीबन 100 लक्षणों की पहचान की गयी है लेकिन इनमें से कुछ ही ऐसे पीरियड आने के लक्षण हैं, जो महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशान करते हैं।  इन लक्षणों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है - मनोवैज्ञानिक (Psychological), शारीरिक (Physical) एवं व्यवहारात्मक (Behavioral)। इनमें जो लक्षण नजर आते हैं, वो हैं -  मूड स्विंग गुस्सा आना उदास होना डिप्रेशन घबराहट थकावट ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी होना बेचैनी वजन बढ़ना पेट फूलना सिर दर्द पीठ में दर्द पिंपल्स आना जोड़ों में

‘अति’ हर चीज की खराब है, फिर चाहे वो ‘प्रोटीन’ ही क्यों न हो!

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शरीर के लिए आवश्य पोषक तत्वों में प्रोटीन की भूमिका बेहद अहम है। मांसपेशियों और हड्डियों की मजबूती, इम्यून सिस्टम को तंदरुस्त रखना, वजन नियंत्रण व अन्य कई चीजों के लिए शरीर में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन का मौजूद होना जरूरी है। खिलाड़ियों से लेकर वजन कंट्रोल करने पर ध्यान दे रहे हर एक व्यक्ति में हाई प्रोटीन डाइट का प्रचलन बढ़ा है। डॉक्टर भी डाइट में हाई प्रोटीन खाद्य पदार्थों को शामिल करने की सलाह देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्यादा मात्रा में प्रोटीन खाना आपके शरीर को नुकसान पहुँचा सकता है? जी हाँ, यह बात सच है। इसीलिए, प्रत्येक व्यक्ति के लिए हाई प्रोटीन डाइट के सिर्फ फायदों को नहीं बल्कि नुकसानों को भी जानना जरूरी है और आज हम इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।  सबसे पहले हाई प्रोटीन डाइट क्या है, यह जान लें हाई प्रोटीन डाइट, आम तौर पर कार्बोहाइड्रेट और वसा की खपत को कम करते हुए प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने पर जोर देती है। केटोजेनिक डाइट और पैलियो डाइट इसके महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। ये डाइट सुझाव देते हैं कि व्यक्ति खाने में प्रोटीन का सेवन बढ़ाकर वजन घटाने से लेकर मांसपेशियों क