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प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण से राहत पाने के लिए डाइट में शामिल करें ये 3 चीजें

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  उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि भी बढ़ सकती है। इस स्थिति को प्रोस्टेट का बढ़ना या बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (बीपीएच) के रूप में जाना जाता है। वैसे तो यह एक सामान्य स्थिति है लेकिन प्रोस्टेट बढ़ने पर व्यक्ति को पेशाब संबंधी कई तरह की समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। कुछ मामलों में, इसके लक्षण गंभीर हो सकते हैं। ऐसे में व्यक्ति को डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत पड़ सकती है। आमतौर पर निम्नलिखित प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण में शामिल हैं- पेशाब करने में कठिनाई होना  पेशाब करने के लिए जोर लगाना  मूत्र का प्रवाह कमजोर होना बार-बार पेशाब आने का अनुभव होना  पेशाब करने के लिए रात में बार-बार उठना  मूत्र असंयम इन लक्षणों से पूरी तरह छुटकारा पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। मगर डाइट में कुछ चीजों को शामिल कर आपको इस समस्या में राहत जरूर मिल सकती है। प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण से राहत पाने के लिए डाइट में शामिल करें ये 3 चीज़ें- 1. टमाटर: प्रोस्टेट से जुड़ी समस्याओं में टमाटर खाना बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसमें लाइकोपेन नामक एंटीऑक्सीडेंट होता है जो प्रोस्टेट ग्रंथि के लिए फायदेम

ये 3 लापरवाही बन सकती है बच्चों में चोट के निशान का कारण

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खेल के दौरान बच्चों का चोट लगना बहुत आम बात है। छोटे बच्चों को अक्सर गिरने से सिर में चोट लगती है। कुछ चोट के निशान इतने गंभीर हो सकते हैं कि उन्हें आसानी से हटाया नहीं जा सकता। आपने कई बच्चों के चेहरे पर कोई न कोई निशान देखा होगा। माता-पिता के लिए अपने बच्चों को खेल के दौरान लगने वाले चोटों से बचाना संभव नहीं है। मगर कुछ लापरवाही के कारण लगने वाले चोटों से बचाया जा सकता है। आइए जानते हैं उन चोट के निशान के बारे में जो कुछ लापरवाही के कारण बच्चों में होने की आशंका होती है। जलने के कारण लगने वाले चोट: जलने का निशान बच्चों में अधिक मामलों में देखे जाते हैं। बच्चों को जलने से होने वाली अधिकांश चोटें गर्म तरल पदार्थों के कारण होती हैं। अक्सर देखा जाता है कि मां रसोई में खाना बना रही होती है और बच्चा मां के पीछे-पीछे रसोई में चला जाता है। ऐसे में जरा सी लापरवाही से बच्चे के जलने से चोट लगने का डर रहता है। कई बार जलने के घाव इतने गंभीर हो जाते हैं कि उस चोट के निशान बच्चे के शरीर पर जीवन भर रह सकते हैं। इसलिए माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को कोशिश करनी चाहिए कि बच्चे को रसोई से दूर र

5 रिस्क फैक्टर्स जो प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण को बना सकते हैं और गंभीर!

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  क्या पेशाब करने के बाद भी आपको बार-बार वॉशरूम जाने की जरूरत पड़ती है? सावधान! हो सकता है ये सारी समस्याएं प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण हों। जी हाँ, कई बार कुछ कारणों से पुरुषों में मौजूद प्रोस्टेट ग्लैंड के टिश्यू बढ़ने लगते हैं। इसके कारण उनमें प्रोस्टेट का आकार भी बढ़ने लगता है। मेडिकल भाषा में इस समस्या को बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लेसिया (Benign Prostatic Hyperplasia) या बीपीएच के नाम से जाना जाता है।  एक सर्वे की मानें तो 60 साल की उम्र के बाद लगभग 50% पुरुषों में प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण नजर आते हैं। वहीं पूरे विश्व में 50 साल से कम उम्र के पुरुषों में बीपीएच की व्यापकता 20 से 60% तक हो सकती है। प्रोस्टेट बढ़ने के लक्षण क्या-क्या हैं? अगर कोई व्यक्ति बीपीएच से पीड़ित है तो उनमें जो लक्षण नजर आ सकते हैं, वो हैं - रात में बार-बार पेशाब के लिए उठना पेशाब करने के बाद भी फिर से वॉशरूम जाने का एहसास होना बार-बार पेशाब आना पेशाब की धार का धीमा हो जाना पेशाब कंट्रोल न कर पाना पेशाब के बाद भी ड्रिपलिंग का जारी रहना पेशाब करते वक्त दर्द का एहसास होना रिस्क फैक्टर्स जो प्रोस्टेट बढ़ने के लक्

पीरियड्स में सेक्स करना चाहिए या नहीं, क्या आपके मन में भी है ये सवाल?

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क्या पीरियड्स में सेक्स करना सुरक्षित है?  न जाने इस तरह के कितने सवाल अक्सर महिलाओं के मन में आते हैं। मगर इसके जवाब से अभी भी बहुत सी महिलाएं वंचित है। इस वजह से कई महिलाएं अनचाहे गर्भ को धारण कर लेती है और फिर एबॉर्शन कराने का निर्णय लेती हैं। इसलिए महिलाओं को इस प्रजनन प्रक्रिया के बारे में शिक्षित होना जरूरी है। इससे अवांछित गर्भावस्था के कारण होने वाले गर्भपात को भी कम किया जा सकता है।  अब आइये जानते हैं कि क्या पीरियड्स के दौरान सेक्स करना सुरक्षित है?  वैसे तो पीरियड्स में सेक्स को सुरक्षित माना जाता है। कुछ मामलों में इस दौरान संबंध बनाने से संक्रमण होने का खतरा हो सकता है। इस संक्रमण को यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) कहा जाता है। यौन संचारित संक्रमणों में शामिल हैं: क्लैमाइडिया हेपेटाइटिस बी हरपीज एचपीवी गुप्तांगी मस्से (जेनिटल वार्ट्स) मोलस्कम कन्टेजियोसम ज्यादातर महिलाओं को पीरियड्स के दौरान योनि में जलन या खुजली की समस्या होती है। ऐसे में अगर महिलाएं सेक्स करती हैं तो इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए सलाह दी जाती है कि पीरियड्स में सेक्स करते समय जरूरी प्रोटेक्शन का इस्त

पेट के निचले हिस्से में दर्द से परेशान है बच्चा, ये 5 कारण हो सकते हैं जिम्मेदार

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अक्सर बच्चे बार-बार पेट के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत करते हैं। कुछ मामलों में तो ये दर्द अपने आप ठीक हो जाता है लेकिन कभी-कभी लंबे समय तक यही दर्द बच्चे को परेशान करता है। अगर आपके बच्चे के साथ भी ऐसा होता है तो इसे नजरअंदाज करने की गलती बिल्कुल भी न करें बल्कि बच्चों में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कारण का पता लगाने की कोशिश करें। हो सकता है ये दर्द किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो। जानें किन 5 कारणों से हो सकता है बच्चे के पेट के निचले हिस्से में दर्द 1. कब्ज : बच्चों में कब्ज एक आम बीमारी है। खानपान में गड़बड़ी व अन्य कई कारणों से अक्सर बच्चों में कब्ज की समस्या देखी जाती है। इसके कारण बच्चों के पेट के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। ऐसी स्थिति में बच्चा हफ्ते में 2 या 3 बार ही मल त्याग करता है1। इस बीमारी में बच्चे का मल बहुत कढ़ा हो जाता है और मल त्याग करते वक्त उसे दर्द का भी एहसास होता है। 2. गैस्ट्रोएन्टराइटिस: बच्चों के पेट के निचले हिस्से में दर्द का कारण गैस्ट्रोएन्टराइटिस भी हो सकता है। ये समस्या मुख्य रूप से वायरल इंफेक्शन के कारण पैदा होती है लेकिन कभी-कभी बैक्ट

6 पोषक तत्व जो आर्थोपेडिक सर्जरी के बाद जल्दी रिकवरी के लिए है जरूरी!

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  किसी भी सर्जरी से जल्दी रिकवरी के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है खानपान पर ध्यान देना। सर्जरी के पहले और बाद में फिट रहने के लिए हेल्दी फूड्स की भूमिका सबसे अहम होती है। वहीं आर्थोपेडिक सर्जरी के बाद मरीज की थाली में कुछ पोषक तत्वों का होना आवश्यक है। तभी तो हड्डियां मजबूत होंगी और मरीज जल्द से जल्द अपने रोजाना के जीवन में वापस लौट सकेगा। चाहे नी रिप्लेसमेंट सर्जरी हो या हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी, जल्दी रिकवर होने का फॉर्मूला ही है स्वस्थ आहार।  जानें क्या होती है आर्थोपेडिक सर्जरी?  मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम यानी जोड़ों, हड्डियों, मांसपेशियों, लिगामेंट्स, टेंडन आदि से जुड़ी समस्याओं के लिए की जाने वाली सर्जरी को आर्थोपेडिक सर्जरी कहा जाता है। इन समस्याओं में ट्यमूर, गठिया, फ्रैक्चर, कोई जन्मजात विकृति  व अन्य शामिल हैं।   आर्थोपेडिक सर्जरी के पहले और बाद में खानपान का कैसे रखें ध्यान? आर्थोपेडिक सर्जरी के कुछ दिनों पहले से लेकर सर्जरी के बाद कुछ महीनों तक अगर मरीज अपने खाने-पीने पर ध्यान दे तो इससे हीलिंग प्रक्रिया तेज होती है। इसके साथ ही सर्जरी के बाद किसी प्रकार के संक्रमण होने का खतरा भी क

चाहती हैं नॉर्मल प्रेगनेंसी तो अपने डाइट चार्ट को बनाए संतुलित

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प्रेगनेंसी में सबसे ज्यादा जरूरी है खानपान का ध्यान रखना। माँ और गर्भ में पल रहे बच्चे को अगर सही मात्रा में पोषण न मिले तो प्रेगनेंसी की सुंदर यात्रा परेशानियों में तब्दील हो सकती है। वैसे गर्भावस्था में संतुलित डाइट चार्ट बनाना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। इस मामले में आपके डॉक्टर आपकी हर संभव मदद करेंगे। एक बात तो तय है अगर गर्भावस्था के 9 महीने में आपने अपने खाने-पीने पर ध्यान दिया तो प्रेगनेंसी के दौरान और उसके बाद भी आपको ज्यादा तकलीफों से नहीं गुजरना पड़ेगा। प्रेगनेंसी में पोषण युक्त खाने का महत्व इससे भ्रूण की हड्डियां और ब्लड सेल्स के विकास में मदद मिलती है। प्रेगनेंसी में होने वाले दर्द और असहजता से छुटकारा मिलता है। शरीर में आयरन की कमी नहीं होती जिससे एनीमिया का खतरा कम होता है। माँ की इम्यूनिटी मजबूत होती है और इंफेक्शन से बचाव होता है। डिलीवरी के बाद स्तनपान कराने में भी आसानी होती है। आपके खाने में मौजूद होनी चाहिये ये 5 चीजें 1. फोलेट: फोलेट को विटामिन बी के रूप में भी जाना जाता है। साथ ही इसका इस्तेमाल फोलिक एसिड के सप्लीमेंट के रूप में भी किया जाता है। बच्चे के विकास के

सांस लेने में है तकलीफ, कहीं ये नाक की हड्डी बढ़ने का संकेत तो नहीं!

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  क्या आपको सांस लेने में तकलीफ होती है? क्या आपके सूंघने की क्षमता भी हो रही है कम? ये लक्षण देते हैं नाक की हड्डी के बढ़ने का संकेत। मेडिकल भाषा में इस समस्या को टर्बिनेट हाइपरट्रोफी (Turbinate Hypertrophy) कहा जाता है। दरअसल, नाक के अंदर सांस लेने के रास्ते में एक लंबी सी बनावट मौजूद होती है जिसे टर्बिनेट कहते हैं। यही टर्बिनेट नाक के अंदर प्रवेश करने वाली हवा को गर्म और नम बनाने का काम करता है। जब ये टर्बिनेट बड़ा हो जाते हैं तो इसके कारण नाक के अंदर हवा आसानी से प्रवेश नहीं कर पाती है। इसी समस्या को नाक की हड्डी का बढ़ना यानी कि टर्बिनेट हाइपरट्रोफी कहा जाता है।  व्यक्ति की नाक में मुख्य रूप से 4 प्रकार के टर्बिनेट्स होते हैं1 - सुप्रीम टर्बिनेट (Supreme Turbinate) ऊपरी टर्बिनेट (Superior Turbinate) मध्यम टर्बिनेट (Middle Turbinate) निचला टर्बिनेट (Inferior Turbinate) सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं मध्यम और निचले टर्बिनेट2। नाक में सबसे ज्यादा हवा इन दोनों ही टर्बिनेट्स से होकर गुजरती है। जब इन टर्बिनेट्स का आकार बढ़ जाता है तो व्यक्ति को सांस लेने में बहुत ज्यादा परेशानी होती ह

क्या महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों से अलग होते हैं? जानें सच्चाई!

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  ‘हार्ट अटैक’ ये  शब्द सुनते ही हर किसी का दिल और दिमाग चिंतित हो जाता है और हो भी क्यों ना? हार्ट अटैक का सीधा संबंध मौत से जो है। हर साल कई लोग हार्ट अटैक से अपनी जान गंवाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पूरे विश्व में हर साल तकरीबन 17.9 मिलियन लोगों की मौत का कारण कार्डियोवैस्कुलर डिजीज है1। वहीं इस बीमारी में 5 में से 4 मौत का कारण हार्ट अटैक होता है1। चिंता की बात तो ये है कि अब सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं बल्कि युवाओं में भी हार्ट अटैक के लक्षण दिखने लगे हैं। आंकड़ों के अनुसार भारत में वयस्कों में लगभग एक चौथाई मौत हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण होती है।  वैसे तो हर किसी में हार्ट अटैक के लक्षण एक सामान ही होते हैं। सीने में दर्द या असहज महसूस होना हार्ट अटैक का सबसे कॉमन लक्षण है लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाएं कुछ और भी लक्षणों का अनुभव कर सकती हैं, जैसे - सांस फूलना उल्टी मतली सांस फूलना पीठ या कमर में दर्द जबड़ों में दर्द जानें हार्ट अटैक के और गंभीर लक्षणों के बारे में हार्ट अटैक के लक्षण कई सारे हैं, जिसकी जानकारी वर्तमान समय में हर एक व्यक्ति को होनी चाहिये, जैसे सीने

हाइपरटेंशन बना सकता है आपको इन 5 बीमारियों का शिकार!

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  आज सबसे तेजी से फैलने वाली बीमारियों में से एक है हाइपरटेंशन । विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पूरे विश्व में 1.28 बिलियन लोग (30-79 उम्र) इस बीमारी की चपेट में हैं। हैरानी की बात तो ये है कि इनमें से 46% लोगों को अपनी बीमारी के बारे में पता ही नहीं है1। इतना ही नहीं पूरी दुनिया में समय से पहले मौत का कारण भी हाइपरटेंशन ही है1। वहीं भारत में तकरीबन 22 करोड़ व्यस्क हाई ब्लड प्रेशर का सामना कर रहे हैं, जिनमें से आधे लोग अपनी बीमारी से अंजान हैं।  दरअसल, कई ऐसे लोग हैं जिन्हें हाइपरटेंशन बीमारी के बारे में अच्छे से पता नहीं है। इसीलिए सबसे पहले इसे समझना जरूरी है वरना व्यक्ति के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है। जानें क्या होता है हाइपरटेंशन? जब धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है तो रक्त के प्रवाह को सामान्य बनाये रखने के लिए दिल को अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति के शरीर में रक्त का दबाव 120/80 एमएमएचजी से ज्यादा हो जाता है, जिसे हाइपरटेंशन कहते हैं। एक नजर डालें हाइपरटेंशन के लक्षणों पर सिर में तेज दर्द छाती में दर्द चक्कर आना सांस लेने में तकलीफ उल्टी  म

हार्ट अटैक का उपचार कैसे किया जाता है?

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 वर्तमान समय में हार्ट अटैक से मौत के बढ़ते आंकड़ों का मुख्य कारण है- समय पर  मेडिकल हेल्प न मिल पाना। अगर मरीज को समय पर चिकित्सकीय सहायता मिल जाए तो हार्ट अटैक का उपचार पूरी तरह से संभव है। दिल के दौरे के इलाज के लिए डॉक्टर निम्नलिखित दवाओं का उपयोग करते हैं: एस्पिरिन: एस्पिरिन रक्त के थक्कों को बनने से रोक सकती हैं। इसलिए जब तक मेडिकल हेल्प नहीं पहुंच जाती तब तक एस्पिरिन को चबाएं। ऐसा करके हार्ट को ज्यादा नुकसान होने से बचाया जा सकता है।  नाइट्रोग्लिसरीन: नाइट्रोग्लिसरीन एक वासोडिलेटर है जो रक्त को पंप करने के लिए हृदय की क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। नाइट्रोग्लिसरीन से सीने में दर्द का भी इलाज किया जाता है। यह दवा तभी लेनी चाहिए जब यह डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब की गई हो। थ्रोम्बोलिटिक्स इंजेक्शन: ये इंजेक्शन उन थक्कों को हटाने में मदद करती हैं जो आपके हार्ट में ब्लड सप्लाई करने वाली धमनियों में बनती हैं। अगर समय पर थ्रोम्बोलाइटिक्स का इंजेक्शन लग जाए तो आपके बचने की संभावना बढ़ जाती है। हार्ट अटैक का उपचार करने में इन दवाओं का इस्तेमाल मेडिकल हेल्प के तौर पर किया जाता है। 

कमर दर्द के कारण बच्चा है परेशान! कहीं स्कूल बैग का बोझ तो नहीं है वजह?

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क्या आपका बच्चा भी स्कूल से आने के बाद कमर दर्द की शिकायत करता है? अगर हाँ तो इस पर गौर जरूर करें। कमर दर्द की परेशानी अब सिर्फ बुजुर्गों को ही नहीं बल्कि बच्चों और किशोरों को भी परेशान कर रही है। सर्वे की मानें तो हाल के वर्षों में बच्चों में कमर दर्द के मामले 2-11% से बढ़कर 27-51% तक पहुँच गये हैं1। ये बेहद जरूरी है कि शुरुआत में बच्चों में कमर दर्द के कारण को समझकर उसका इलाज किया जाये। अगर ऐसा नहीं होता है तो भविष्य में कमर दर्द की छोटी सी परेशानी बड़ा रूप ले सकती है।  10 में से हर चौथा बच्चा है कमर दर्द से परेशान! कुछ सर्वे में कमर दर्द को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आये हैं। इन आंकड़ों के अनुसार 10 में से हर चौथा बच्चा कमर दर्द के कारण परेशान है2। इनमें से भी कुछ बच्चे ऐसे हैं जिनका दर्द 3 महीने से ज्यादा वक्त के लिए रहता है और उन्हें बार-बार कमर दर्द का सामना करना पड़ता है2। इसके कारण बच्चे की रोजाना की लाइफ पर असर पड़ता है। क्या स्कूल बैग का भारी वजन कमर दर्द के कारण में शामिल है? आजकल बच्चों में पढ़ाई का दबाव बढ़ रहा है। बच्चों के स्कूल बैग कॉपी-किताबों से भरे रहते हैं। इस

इन सुझावों को अपनाएं और पेट के निचले हिस्से में दर्द से राहत पाएं

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महिलाओं सहित पुरुषों को कभी न कभी पेट के निचले हिस्से में दर्द का अनुभव जरूर हो सकता है। यह दर्द आमतौर पर पेट दर्द से अलग होता है। इसके कई कारण हो सकते हैं। महिलाओं में, यह गर्भाशय, अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय ग्रीवा और योनि की समस्याओं के कारण हो सकता है। वहीं पुरुषों में ये दर्द प्रोस्टेट से जुड़ी किसी समस्या के कारण भी हो सकता है। वैसे तो यह दर्द सामान्य है लेकिन अगर दर्द असहनीय हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अब बात करें अगर इस दर्द को कम कैसे किया जाए? आमतौर पर इसका उपचार इसके कारणों पर निर्भर करता है लेकिन कुछ उपाय कर पेट के निचले हिस्से में दर्द को कम किया जा सकता है। आइये जानते हैं किन सुझावों का पालन कर आप इस दर्द में राहत पा सकते हैं- फाइबर युक्त आहार का सेवन करें: पेट के निचले हिस्से में होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए आपको अपने आहार में फाइबर युक्त आहार को शामिल करना चाहिए। इससे पाचन क्षमता में सुधार किया जा सकता है। जिससे दर्द को कम करने में मदद मिल सकती हैं। इसके लिए आहार में लें इन चीज़ों को- हरी सब्जियां गाजर ब्रोकली ड्राई फ्रूट्स  साबुत अनाज  बेरीज  सो

इमरजेंसी गर्भनिरोधक गोलियों से 95% तक रूक सकती है प्रेगनेंसी! जानें सच्चाई

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  अनप्रोटेक्टेड सेक्स, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन भूल जाना या फिर सेक्स के दौरान कंडोम का फटना, क्या इन परिस्थितियों में प्रेगनेंसी को रोका जा सकता है? कहीं आप भी इसी सवाल का जवाब तो नहीं ढूंढ़ रहे हैं? अगर हाँ तो आपके सवाल का जवाब है - इमरजेंसी गर्भनिरोधिक गोलियां (Emergency Contraceptive Pills)। इन गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन अनचाही प्रेगनेंसी को रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation) का भी यही मानना है। डबल्यूएचओ के अनुसार अगर संभोग के 5 दिनों के अंदर इमरजेंसी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल किया जाये तो प्रेगनेंसी न होने की संभावना 95% से ज्यादा रहती है।  इमरजेंसी गर्भनिरोधिक (Emergency Contraception) क्या होता हैं? इमरजेंसी गर्भनिरोधिक, गर्भनिरोध का वो तरीका है जिसका उपयोग प्रेगनेंसी रोकने के लिए सेक्सुअल इंटरकोर्स के बाद किया जाता है। वैसे तो संभोग के 5 दिनों के अंदर इसके इस्तेमाल की सलाह दी जाती है लेकिन जिनती जल्दी इसका सेवन किया जाये, ये उतना ही ज्यादा कारगर सिद्ध हो सकता है। इमरजेंसी गर्भनिरोधिक के प्रकार इमरजेंसी गर्भनिरोधक 2 प्रकार के हो